KK Pathak Bihar Education System:- नमस्कार साथियों आप लोग का स्वागत है ,हमारे इस आर्टिकल में , आज इस आर्टिकल में बिहार की शिक्षा व्यवस्था के बारे में चर्चा करेंगे। क्या वाकई में बिहार में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो रहा है या फिर बद से बदत्तर स्थिति होने वाली है। यह बात बिल्कुल सही है और किसी ने कहा है कोई भी कंपनी या संस्था को सफलता की चरम सीमा पर पहुंचाने वाले उसके वर्कर होते हैं। अगर वर्कर चाह लेंगे तो उस कंपनी को आबाद कर सकते है और अगर वर्कर चाह लेंगे तो उस कंपनी को बर्बाद भी कर सकते हैं।
कोई भी कंपनी या संस्था तभी सफल हो पाते हैं जब उसके वर्कर खुश हो उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो और सभी कर्मी पूरे शिद्दत से तन मन से काम करें। बिहार के शिक्षा विभाग को एक कंपनी या संस्था मानते हैं तो उसके जितने भी शिक्षक हैं वे सारे वर्कर हुए। और हम सभी लोग जानते हैं सभी शिक्षक लोग आज शारीरिक एवं मानसिक रूप से परेशान है। तो ऐसी स्थिति में बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है स्थिति अब बद से बदत्तर हो रही है। यही हकीकत है। सुधार के नाम पर यहां खेला हो रहा है।
बिहार का इकलौता राज्य जहां एक को छोड़कर शिक्षा विभाग में किसी की नहीं चलती :-
वर्तमान समय में पूरे भारत में बिहार एक ऐसा राज्य है जहां मुख्यमंत्री, राज्यपाल ,शिक्षा मंत्री की कोई वैल्यू नहीं है। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पाठक के आगे। इससे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या हो सकती है। अगर मुख्यमंत्री और राज्यपाल और शिक्षा मंत्री की कोई वजूद नहीं है तो समझे बिहार में लोकतंत्र है ही नहीं। बिहार के तमाम शिक्षक लोग बिहार सरकार से फरियाद कर रहे हैं कि बिहार में शिक्षक के साथ-साथ सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब के बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है। पर यहां कोई सुननेवाला नहीं है। यहां तो यह कहावत सही बैठ रहा है “अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा ” वाला
Bihar Bihar Education System में सुधार कैसे होगा:- वर्तमान समय में एक बात समझ में नहीं आ रही हैं कि बिहार सरकार और शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी की मंशा क्या है ? क्या वाकई में ये लोग बिहार के शिक्षा व्यवस्था में सुधार चाहते हैं? बिहार के सरकारी स्कूलों में गरीब लोगों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहते हैं ? या फिर जानबूझकर बिहार के शिक्षा व्यवस्था को चौपट किया जा रहा है ? यह विचारणीय है। यह बात सत्य है की ज्यादा लगाम को ढीली नहीं दी जानी चाहिए कुछ सख्ती भी जरूरी थी बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए।
पर उसका एक लक्ष्य होना चाहिए मोटो होना चाहिए कहां पर सख्ती करनी है कितनी सख्ती करनी है , किस उद्देश्य से करनी है उस सख्ती का आउटपुट क्या निकलेगा। पर यहां पर तो कुछ पता ही नहीं चल रहा है फरमान पर फरमान जारी किया जा रहा है उस फरमान का शिक्षा व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ रहा है उससे किसी को कुछ मतलब ही नहीं है।
इधर सोशल मीडिया और विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जमीनी हकीकत यह है कि सभी शिक्षक लोग शारीरिक एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ हो रहे हैं। उनका दिमाग अनबैलेंस है ऐसी स्थिति में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे दे सकते हैं। यह बात शिक्षा विभाग के आला अधिकारी को क्यों नहीं समझ में आ रही है। इसलिए कहा जा रहा है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था बद से बदत्तर की ओर जा रही है।
Bihar Bihar Education System New School Timing
नया फ़रमान गर्मी में स्कूल टामिंग सुबह 6 से दोपहर1 :30 बजे तक
कम गर्मी पड़ रही थी तो स्कूल 8 से 10 बजे तक अब गर्मी बढ़ रही है तो स्कूल 6:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक इससे साफ पता चल रहा है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था सुधार के नाम पर बिहार के तमाम शिक्षक एवं गरीब परिवार के बच्चों के साथ जानबूझकर अन्याय किया जा रहा है। इतनी भीषण गर्मी में बच्चे जैसे तैसे खली पेट विद्यालय पहुंच रहे है। खली पेट और इतनी गर्मी के कारण बच्चे विद्यालय के वर्ग में ही बेहोश हो जा रहे है। ऐसी स्थिति में बच्चे के साथ अनहोनी भी हो सकती है उनकी जान भी जा सकती है लू लगने से। जरा सोचिये 12 बजे दोपहर में कितनी गर्मी पड़ती है और लू भी बहुत तेज चलती है।
सभी विद्यालय में सुरक्षित शनिवार के दिन यह बताया जाता है कि मई और जून के महीने में कोई भी बच्चा 10:00 बजे के बाद घर से बाहर न निकले इससे जान माल की खतरा हो सकती है और ऐसी स्थिति में अभी ठीक दोपहर के 12:00 चिलचिलाती धूप में बच्चे दो से तीन किलोमीटर चलकर स्कूल से अपने घर जा रहे है। यह साफ दर्शाता है बिहार में शिक्षा विभाग को गरीब के बाल -बच्चे से कोई हमदर्दी नहीं है वो जिए या मरे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। और बात करते है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का। अगर ऐसा ही चला रहा तो निश्चित रूप से बहुत सारे बच्चे बीमार पड़ जाएंगे और साथ में उनके साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है इसका जिम्मेदार कौन होगा। शिक्षा विभाग की तमाम अधिकारियों को यह समझ में क्यों नहीं आ रही है कि पहले स्वास्थ्य जरूरी है आगर बच्चे स्वस्थ रहेंगे तभी वे पढ़ाई कर सकते हैं। KK Pathak Bihar Bihar Education System
सभी शिक्षक गण अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें अपना विवेक से काम ले
सभी शिक्षक एवं शिक्षाओं से नम्र अपील है कि विद्यालय के समय सारणी को नजर में रखकर विद्यालय पहुंचने के लिए जल्दबाज़ी न करें। कल सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से जो रिपोर्ट आई है उसमें कई शिक्षक विद्यालय जल्द से जल्द पहुंचने के चलते एक्सीडेंट के शिकार हुए हैं। जिससे वे बुरी तरह से जख्मी है भगवान का शुक्र है उनकी जान बच गई है।
ऐसी स्थिति में कुछ भी अनहोनी हो सकता है। सभी शिक्षक लोग अपना विवेक से काम ले ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता है वेतन ही कटेगा ना। अगर समय से विद्यालय न पहुंचे तो , पर अगर आपके साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो फिर आपके परिवार को देखने वाला कोई नहीं है ऐसी स्थिति में आपका परिवार टूट जाएगा।
सभी शिक्षक गण इस बात को ध्यान में जरूर रखें कि यह नौकरी आप सिर्फ अपने लिए नहीं कर रहे हैं आप अपने बुजुर्ग मां-बाप बीबी बाल- बच्चे के लिए कर रहे हैं इसलिए जो शिक्षक ज्यादा दूरी से स्कूल जाते हैं वह कोशिश करें विद्यालय के आसपास अगल बगल में कुछ दिनों के लिए रहने की व्यवस्था कर लें। हर हाल में सभी शिक्षक गण पहले अपनी सुरक्षा पर ध्यान देंगे क्योंकि जान है तो जहान है अगर आप हैं तो ही आपका स्कूल है।
KK Pathak Bihar Education System
बिहार के शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री इस बात को संज्ञान में ले :- मौजूदा हालात में बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पाठक शिक्षा विभाग के सर्वेसर्वा उनके सामने शिक्षा मंत्री ,मुख्यमंत्री और शिक्षक प्रतिनिधि किसी की नहीं चलती है। उनका फरमान को कोई काट नहीं सकता है। बिहार के तमाम नियोजित शिक्षक नियमित शिक्षक जो भी है वे गुहार लगाए तो किससे गुहार लगाए। जैसा कि आप लोग को पता है अगर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री चाह लेंगे तो के के पाठक की एक भी नहीं चलेगी पर ऐसा हो नहीं रहा है। क्या यह सब जानबूझकर करवाया जा रहा है वर्तमान स्थिति को देखकर तो यही लग रहा है।
पर अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री को इस बात को संज्ञान में लेना होगा क्योंकि यहां पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षा व्यवस्था में सुधार कि नहीं है यहां पर बिहार के गरीब जनता के बाल बच्चे जो सरकारी विद्यालय जाते हैं और साथ में तमाम नियोजित एवं नियमित शिक्षक सभी के जान -माल पर आ बनी है। किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री उस राज्य के मुखिया होते हैं उनकी यह जिम्मेवारी होती है कि उसे राज्य के सभी लोग सुरक्षित रहें और अपना जीवन ठीक-ठाक से व्यतीत करे।
अगर अभी मुख्यमंत्री इस बात को संज्ञान में नहीं लेते हैं और तानाशाही और मनमानी शिक्षा विभाग में जो हो रहा है उसे पर नकेल नहीं कसते हैं तो जनता इस बात को समझ गई है। शिक्षा में सुधार के नाम पर शिक्षा विभाग में लूट हो रही है। और जानबूझकर गरीब के बाल बच्चे और शिक्षक को परेशान किया जा रहा है। इसका खामियाजा अगले इलेक्शन में सरकार को देखने को जरूर मिलेगा।
लोकतंत्र में वहां की जनता अपने वोट देकर अपने जन प्रतिनिधि को इसलिए चुनते हैं ताकि वह उनके सुख-दुख में साथ खड़े हो उनकी परेशानी, उनकी समस्या का समाधान करें पर यहां पर तो लोकतंत्र है ही नहीं राजतंत्र है तानाशाही हिटलर बाजी का माहौल है।
सारांश:- सारांश में यही कहा जा सकता है कि अभी बिहार के शिक्षा विभाग में जो चल रहा है वह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। जिस तरह से शिक्षक एवं गरीबों के बाल बच्चों को परेशान किया जा रहा है। इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार बिल्कुल संभव नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात की जाए तो ऐसी स्थिति में हो ही नहीं सकती है। तमाम शिक्षक एवं आम जनता जिनके बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाते हैं उनसे अपील है। भीषण गर्मी के देखते हुए पहले अपने बाल बच्चे का स्वास्थ्य का ख्याल रखें। शिक्षकगण स्कूल जाते समय जल्दबाजी न करें क्योंकि जान है तो जहान है। नया फ़रमान के के पाठक
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